भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) भारतीय संगीत, सिनेमा और साहित्य जगत के एक प्रमुख हस्ताक्षर थे। असम के इस महान संगीतकार, गायक और गीतकार ने न सिर्फ अपनी मातृभूमि बल्कि पूरे भारत में अपने कला और संगीत से अमिट छाप छोड़ी। भूपेन हजारिका का योगदान संगीत, फिल्म और सामाजिक सरोकारों में इतना व्यापक है कि उन्हें “संगीत के दिग्गज” और “पूर्वोत्तर के भारत रत्न” के रूप में सम्मानित किया जाता है। आइए जानते हैं, भूपेन हजारिका इतने प्रसिद्ध क्यों हैं।
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) की शुरुआती जीवन और शिक्षा
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम के सादिया में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी, लेकिन उनकी माँ ने उन्हें लोकसंगीत और असमिया संस्कृति से परिचित कराया। बचपन से ही भूपेन को संगीत में रुचि थी, लेकिन एक छोटे गांव से आने वाले लड़के के लिए भारतीय संगीत जगत में पहचान बनाना आसान नहीं था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा असम में पूरी की और फिर उच्च शिक्षा के लिए वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातक और मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की।
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) के संघर्ष और शुरुआती कठिनाइयां
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, भूपेन हजारिका को अपने संगीत करियर की शुरुआत करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भारतीय फिल्म और संगीत उद्योग में असम जैसे छोटे राज्य से आना और पहचान बनाना बहुत कठिन था। एक ऐसा समय था जब उनके पास संगीत को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक संसाधन भी नहीं थे। हालांकि, भूपेन ने अपने संगीत के प्रति अपने जुनून को कभी कमजोर नहीं होने दिया। वे अपनी असमिया संस्कृति और लोकसंगीत को विश्व मंच पर लाना चाहते थे, लेकिन इसके लिए उन्हें कई बार असफलताओं और निराशाओं का सामना करना पड़ा।
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राजनीति और सामाजिक संघर्ष
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) ने न केवल संगीत में संघर्ष किया, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी खुलकर बोलते रहे। वे एक सशक्त समाजवादी विचारक थे और उनके गीतों में समाज की पीड़ा और शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद होती थी। उनकी इस सोच के कारण उन्हें कई बार विवादों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने विचारों से कभी समझौता नहीं किया।
फिल्म और संगीत उद्योग में पहचान बनाना
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) की संगीत यात्रा असमिया सिनेमा से शुरू हुई, लेकिन उनकी प्रसिद्धि तब बढ़ी जब उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाई। उनका गीत “दिल हूम हूम करे” और “ओ गंगा तू बहती है क्यों” ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक जाना-माना नाम बना दिया। हालाँकि, फिल्म उद्योग में भी उन्हें कई बार अपने संगीत को स्वीकार्य बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि उस समय का मुख्यधारा संगीत और उनकी शैली में बड़ा अंतर था।
अंतरराष्ट्रीय पहचान
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika)की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक यह थी कि उन्होंने असमिया और भारतीय लोकसंगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भी अपने संगीत का प्रदर्शन किया। यह उनकी कला और संगीत के प्रति समर्पण का परिणाम था कि एक छोटे से गांव के लड़के ने दुनिया के सबसे बड़े मंचों पर अपनी आवाज को पहुंचाया।
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) के अंतिम समय का संघर्ष
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) का जीवन अंतिम समय तक संघर्षपूर्ण रहा। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद, वे लगातार संगीत और कला के क्षेत्र में सक्रिय रहे। उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक संगीत के प्रति अपने प्रेम को जीवित रखा। 5 नवंबर 2011 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन उनका संघर्ष और उनकी कला आज भी हमें प्रेरित करती है।
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) इतने प्रसिद्ध क्यों हैं
1. भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika) की संगीत में पहचान
भूपेन हजारिका(Bhupen Hazarika)की संगीत में गहरी पकड़ और अनूठा अंदाज उन्हें विशिष्ट बनाता है। उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से समाज की पीड़ा, संस्कृति और सामजिक मुद्दों को बहुत प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उनका संगीत लोकसंगीत पर आधारित था, जो सरल लेकिन बहुत प्रभावशाली था।
2. कौन सी फिल्म में भूपेन हजारिका ने पहली बार गाया?
भूपेन हजारिका ने पहली बार असमीया फिल्म ‘इंद्रमालती’ (1939) में गाया था। तब वह केवल 12 साल के थे। यह भूपेन हजारिका के संगीत करियर की शुरुआत थी, जो बाद में उन्हें भारतीय संगीत जगत में महान ऊंचाइयों तक ले गया।
3. भूपेन हजारिका को किस फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला?
भूपेन हजारिका को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, लेकिन उन्हें सबसे पहले राष्ट्रीय पुरस्कार फिल्म ‘चमेली मेमसाब’ (1975) के लिए मिला। यह असमीया फिल्म थी और इस फिल्म में भूपेन हजारिका ने संगीत दिया था, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
4. भूपेन हजारिका को किस क्षेत्र में भारत रत्न मिला?
भूपेन हजारिका को 2019 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान संगीत और कला के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए दिया गया। उन्होंने असम और पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई।
5. भूपेन हजारिका ने कितने गीत गाए?
भूपेन हजारिका ने अपने जीवनकाल में करीब 1,500 से ज्यादा गीत गाए। उनके गीतों में सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवता के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया। उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएं हैं:
- गंगा बहती हो क्यों
- दिल हूम हूम करे
- ओ गंगा तू बहती है क्यों
- बिस्तर कुंडेरे से मोहन मालाके
इन गीतों ने भूपेन हजारिका को हर घर तक पहुंचा दिया। - हम होंगे कामयाब (आंदोलन गीत)
- असमिया गान: बुकु होम होम करे
6. सामाजिक संदेश और मानवता के लिए योगदान
भूपेन हजारिका का संगीत केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से सामाजिक सुधार और मानवता के संदेश को भी फैलाया। उनके गीतों में प्रेम, भाईचारा, और समानता के विचारों को बहुत ही भावनात्मक रूप से व्यक्त किया गया।
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निष्कर्ष
भूपेन हजारिका केवल एक संगीतकार नहीं थे, बल्कि वे एक सांस्कृतिक दूत थे जिन्होंने संगीत और साहित्य के माध्यम से समाज को दिशा दी। उनके गीतों ने लोगों के दिलों में जगह बनाई और उन्हें एक महानायक बना दिया। यही कारण है कि भूपेन हजारिका आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित हैं और हमेशा रहेंगे।